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Published on Saturday, January 20, 2018 by Dr A L Jain | Modified on Wednesday, October 2, 2019
Phone: 91163 97180
Facilities: AC/Non-AC Rooms, Free Parking, Bhojanshala, Temple, Hot Water
Note: Phone Number of सात बीस देवरी मंदिर, किला: 9252144095
यह धर्मशाला स्टेशन रोड पर स्थित है एवं भी श्वेताम्बर सात बीस देवरी मंदिर ट्रस्ट, किला, संचालित है। आचार्य श्री विजयनीति सूरीश्वर जी म.सा. की भावना के अनुरूप 6 जुलाई 1946 को वर्तमान धर्मशाला परिसर की भूमि क्रय कर 9 कमरे, 6 कोठरियाँ, 1 हाॅल व 7 दुकानों का निर्माण कार्य माघ वदी एकम संवत 2005 तद्नुसार सन् 1948 को पूर्ण हुआ, जिसका लाभ मोहनलालजी खुशालदासजी के सुपुत्र माणकलालजी ने कल्याणजी आनंदजी पेढ़ी के निर्देशन में लिया। श्री आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी ने सन् 1967 से 1992 तक इस धर्मशाला व श्री सात बीस देवरी मंदिर, किला तथा किले के अन्य जैन मंदिरों की व्यवस्था एवं रखरखाव का कार्य सम्पन्न किया।
1 अप्रेल 1992 के बाद नये ट्रस्ट मंडल के साथ अध्यक्ष का कार्यभार दिवंगत श्री हीरालाल जी दोशी एवं सचिव का कार्य श्री आनंदीलाल जी नागोरी एवं कोषाध्यक्ष का कार्य दिवंगत श्री कनकमल जी मेहता ने देखा। इनके कार्यकाल में 5 कमरे, 1 हाल व भोजनशाला आदि का निर्माण करवाया गया।
26 जनवरी 2003 से अध्यक्ष पद पर श्री कन्हैयालाल जी महात्मा, सचिव पद पर श्री राकेश कुमार जी जैन एवं कोषाध्यक्ष पद पर श्री कन्हैयालाल जी छाजेड़ ने कार्यभार संभाला। इस टीम के नेतृत्व में धर्मशाला का कायाकल्प हुआ एवं 35 नये कमरों की अभिवृद्धि धर्मशाला में हुई, जिनमें 11 कमरे ए.सी. है एवं 2 हाॅल है।
द्रोपदी देवी मनरूपचन्द जी नानजी साॅजी परिवार भीनमाल द्वारा 5 ए.सी. मरे, श्रीमती जयकुंवर बेन, अमृतलाल, रामजी भाई मुंबई द्वारा जीर्णोद्धार एवं पार्वत्ी बेन जगरूप जी, मंछालाल जी सिरोही द्वारा भोजनशाला, का निर्माण हुआ।
परम पूज्य आचार्य श्री विजयनीतिसूरी जी के समुदाय के पूज्य श्री जयप्रभविजय जी. पूज्य श्रीमणिप्रभविजय जी एवं पूज्या साध्वी श्री हर्षप्रभाश्री जी, म. सा. की प्रेरणा से सुमेरपुर थावला (राज.) निवासी संघवी स्व. घेवरचन्द की धर्मपत्नी श्रीमती कंचनदेवी कासम हाल मु. विशाखापट्टनम द्वारा जैन यात्री भवन निर्माण का लाभ लिया गया।
गच्छाधिपति प.पू. आचार्य श्री विजय हेमप्रभूसिर जी, आचार्य श्री विजयजयघोषसूरि जी, मुनिश्री मणिप्रभविजय जी एवं प. पूज्या साध्वी श्री हर्षप्रभा श्री जी की प्रेरणा से धावन माँ आराधना कक्ष के निर्माण का लाभ श्री सूरजमल जी के हस्ते लिया गया। श्रीमती प्रभा बेन मोहनलाल जी राजावत खुडाला निवासी द्वारा भी विजयनीतिसूरीश्वर श्रमणोपासक भवन निर्माण का लाभ लिया गया।
श्री विजयनीति सूरीश्वर समुदाय के गच्छाधिपति आचार्य श्री हेमप्रभसूरीश्वर जी के कोसेलाव चातुर्मास के अवसर पर कोसेलाव श्रीसंघ ने विविधलक्षी हाॅल के निर्माण का लाभ लिया।
श्री शान्तिलाल जी कान्तिलाल जी राठौड़ परिवार सादड़ी-रणकपुर/चित्तौड़गढ़ द्वारा धर्मशाला में कार्यालय निर्माण का लाभ लिया गया।
श्रद्धेय श्री कुमारपाल भाई वि. शाह धोलका की प्रेरणा से विभिन्न दानदाताओं द्वारा विगत तीन वर्षो तक भगवान श्री महावीर के जन्म कल्याणक दिवस से गर्मी के 108 दिनों में आमजन हेतु धर्मशाला के गेट से छाछ वितरण किया गया।
धर्मशाला के दो भव्य प्रवेशद्वारों का निर्माण कार्य श्रेष्ठीवर्य श्री कुमारपाल भाई वि. शाह की प्रेरणा से दानदाताओं द्वारा करवाया जा रहा है। अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि यह धर्मशाला आज नगर की श्रेष्ठ व्यवस्थाओं वाली जगह बन चुकी है जिसका उपयोग यात्रिगणों के ठहरने के साथ-साथ विवाह समारोहों एवं सामाजिक व सांस्कृतिक आयोजनों हेतु किया जा रहा है।
किले के सात बीस देवरी मंदिर मंे श्रीमती जयकुंवर बेन अमृतलाल जी, रामजी भाई शाह माटूंगा हस्ते समाज श्रेष्ठी पुत्र श्री नरेश भाई शाह के आर्थिक सहयोग से सन् 2009 में भोजनशाला का कार्य पूर्ण हुआ एवं तबसे भोजनशाला नियमित रूप से चालू है।
जैन धर्मशाला स्टेशन रोड पर भोजनशाला की कमी महसूस की जा रही थी। फलस्वरूप श्रीमती पार्वती बेन, जगरूप जी, मंछालाल जी निवासी सिरोही हस्ते, श्री चम्पालाल जी सूरत एवं री जयन्तिलाल जी मुंबई के आर्थिक सहयोग से 60'ग 60' क्षेत्रफल की सुन्दर भोजनशाला का निर्माण सन् 1998 में पूर्ण हुआ। तब से भोजनशाला नियमित एवं सुव्यवस्थित रूप से चल रही है।
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